
🎯त्रिलोक न्यूज़ चैनल उज्जैन,04 मार्च।
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी उज्जैन की प्रसिद्ध धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा, पंचक्रोशी यात्रा (पंचेशानी यात्रा) वैशाख कृष्ण दशमी से आरंभ होकर वैशाख मास की अमावस्या को समाप्त होगी। उल्लेखनीय है कि यह यात्रा लगभग 118 किलोमीटर लंबी होती है। इस यात्रा को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। उज्जैन के पटनी बाज़ार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर से यात्रा हेतु बल प्राप्त कर यात्रा प्रारंभ की जाती है एवं समाप्ति पर पुनः श्रुद्धालुओं द्वारा बल लौटाने हेतु श्री नागचंदेश्वर दर्शन की मान्यता है।
यात्रा मार्ग पड़ाव / उपपड़ाव एवं दूरी :- नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव-12 कि.मी., पिंगलेश्वर से कायावारोहह्मेश्वर पड़ाव 23 कि.मी., कायावारोहह्मेश्वर से नलवा उप-पड़ाव 21 कि.मी., नलवा उप-पड़ाव से बिल्केश्वर पड़ाव (अम्बोदिया) 06 कि.मी., अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप-पड़ाव 21 कि.मी., कालियादेह उप-पड़ाव से दुदरेश्वर पड़ाव (जैथल)-12 कि.मी., दुदरेश्वर पड़ाव (जैथल) से उंडासा उप-पड़ाव 16 कि.मी., उंडासा उप-पड़ाव से क्षिप्रा घाट, रेती मैदान 12 कि.मी.।
इस यात्रा का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में किया गया है। पंचक्रोशी यात्रा कुल पाँच दिनों तक चलती है और श्रद्धालु पैदल यात्रा कर इन तीर्थों के दर्शन करते हैं। माना जाता है की यह यात्रा पापों का नाश करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली यात्रा है यात्रा के दौरान श्रद्धालु पड़ाव / उप-पड़ाव पर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। पंचक्रोशी यात्रा उज्जैन की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देती है बल्कि श्रद्धालुओं को शारीरिक और मानसिक शुद्धि का अनुभव भी कराती है।